करो प्रण इस मंच पर, आज सामाजिक न्याय से आंख से आंख मिलाएंगे। करो प्रण इस मंच पर, आज सामाजिक न्याय से आंख से आंख मिलाएंगे।
भाग्यफल के मोह को छोड़,और कर्म से नाता जोड़ अकर्मण्यता से नाता तोड़, जीवन संग लगा कर ह भाग्यफल के मोह को छोड़,और कर्म से नाता जोड़ अकर्मण्यता से नाता तोड़, जीवन संग...
अलविदा 2019 कुछ खट्टी कुछ मीठी रहेगी तुम्हारी याद कभी हंसाओगे तुम कभी रुलाओगे अलविदा 2019 कुछ खट्टी कुछ मीठी रहेगी तुम्हारी याद कभी हंसाओगे तुम कभी ...
उस घर की चार दीवारों में गुज़रा मेरा बचपन, अक्सर मुझे याद आता है। सारे लम्हें समेट उस घर की चार दीवारों में गुज़रा मेरा बचपन, अक्सर मुझे याद आता है। सारे...
वो आज की औरत जो इंसान है, और इंसान होना चाहती है। वो आज की औरत जो इंसान है, और इंसान होना चाहती है।
वट तुम्हारी रागमयता आज मुझ पर झर रही है। वट तुम्हारी रागमयता आज मुझ पर झर रही है।